क्या आईबीएस का संबंध मेरे आहार से है ?
इरिटेबल बावेल सिंड्रोम (आईबीएस) एक असुविधाजनक विकार है जो पेट में कई तरह के असामान्य लक्षण और मल त्याग में परेशानियां पैदा कर देता है। इसमें कुछ लोगों को डायरिया होता है तो कुछ को कब्ज़ की शिकायत रहती है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति सूजन, ऐंठन और पेट-दर्द से परेशान रहता है और उसका रोज़मर्रा का कामकाज गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है।
खराब और अनियमित आहार, व्यायाम की कमी और नींद संबंधी विकारों को इर्रिटेबल बावेल सिंड्रोम के जोखिम का मुख्य कारण माना गया है। कुछ डॉक्टर इसकी व्याख्या “मस्तिष्क-आंत अक्ष की विकृति” के रूप में भी करते हैं। यह रोग ऐसे सबसे आम आंत्र विकारों में से एक है, जिसमें संबंधित अंग की संरचना में किसी तरह का कोई विकार नहीं पैदा होता।
हालाँकि, यह परेशानी आमतौर पर एशिया की तुलना में पश्चिमी देशों में अधिक देखी जाती है लेकिन अब भारत में भी आईबीएस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और फ़िलहाल हमारी लगभग 15 प्रतिशत आबादी इससे पीड़ित है।
आईबीएस में आहार की क्या भूमिका रहती है?
आहार इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आईबीएस पीड़ितों में से बहुत से लोग शिकायत करते हैं कि उनके लक्षण कुछ विशेष खाद्य पदार्थों के सेवन से बढ़ रहे हैं। हालांकि, इससे निराश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ऐसे बहुत सारे खाद्य पदार्थ सुलभ हैं जो आईबीएस से पीड़ित लोगों के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं। डॉक्टर और आहार विशेषज्ञ दिन में तीन बार भोजन और दो से तीन बार नाश्ते के स्वस्थ एवं संतुलित आहार की सलाह देते हैं। भोजन का एक नियम बनाएं जिसमें बहुत सारे रेशेदार खाद्य पदार्थ, फल और सब्ज़ियां, लीन मीट, अनाज और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का सेवन सुनिश्चित करें। साथ ही तले और वसायुक्त खाद्य पदार्थों से बचें। यहां यह याद रखना जरूरी है कि हरेक आईबीएस रोगी अलग-अलग प्रकार के खाद्य पदार्थों के लिए अलग प्रतिक्रिया देता है। इसलिए, आईबीएस पीड़ितों के लिए एक जैसा आहार उचित नहीं हो सकता।
आईबीएस पीड़ितों के लिए आहार संबंधी कुछ टिप्स:
पकी हुई सब्ज़ियों का सेवन ठीक हैं, पर पत्तागोभी, फूलगोभी और ब्रोकली से दूर रहना ही समझदारी है क्योंकि इससे बहुत अधिक गैस बन सकती है। यदि आप को इनके सेवन से किसी तरह परेशानी नहीं होती तो आप इन्हें आहार में शामिल करें।
बिना छिलके वाले फल बेहतर हैं। खरबूजे, सेब और खट्टे फल कुछ आईबीएस पीड़ितों को सूट नहीं करते।
आहार में फ़ाइबर की मात्रा बढ़ाने से कुछ पीड़ितों को मदद मिल सकती है।
यदि आपको सीलिएक रोग या ग्लूटेन इंटॉलरेंस नहीं है, तो ब्रेड, पास्ता, चावल आदि आमतौर पर कोई परेशानी नहीं पैदा करते हैं।
जो लैक्टोज़ इंटॉलरेंट या जिन्हें दुग्ध उत्पादों से एलर्जी है, उन्हें डेयरी उत्पादों से दूरी बनानी चाहिए। हालांकि, लैक्टोज़ रहित दुग्ध-उत्पाद अब बाजार में काफी आसानी से उपलब्ध हैं।
आइबीएस पीड़ित लोग मांस, चिकन और मछली का आनंद ले सकते हैं।
मसाले, सॉस या तले हुए खाद्य पदार्थों से समस्या हो सकती है।
बेक किए हुए आलू के चिप्स, चावल के केक, फ्रोज़न योगर्ट (दही), कम वसा वाले दही और फल जैसे स्नैक्स पेट के लिए सही हो सकते हैं।
यदि आपको ऐसे खाद्य पदार्थों की जानकारी है, जो इसके संभावित लक्षणों को उभार सकते हैं या उत्तेजित कर सकते हैं, तो आप ऐसे खाद्य पदार्थों का एक छोटा सा हिस्सा लेकर उन्हें फिर से अपने आहार में शामिल करने के प्रयास कर सकते हैं लेकिन ध्यान रहे एक समय में केवल एक खाद्य पदार्थ को ही चुनें।
कम या बिना तेल के ग्रिलिंग, बेक या स्टीम करके भोजन तैयार करना बेहतर है। तेल के स्थान पर कुकिंग स्प्रे का इस्तेमाल किया सकता है।
कम फॉडमैपयुक्त आहार के सेवन पर डटे रहें
फॉडमैप्स “फरमेंटेड ओलिगोसैक्रराइड्स, डासैकराइड्स, मोनोसैक्राइड्स और पॉलीओल्स” का शब्द संक्षेप है। यह एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट हैं जिसे पचा पाना हमारी आंतों के लिए कठिन होता है। ऐसे कार्बोहाइड्रेट्स आंत में अधिक पानी चूसने के लिए जाने जाते हैं, जिसके कारण पेट मे गैस, सूजन और दस्त जैसे आईबीएस के लक्षण बढ़ जाते हैं। .
खाद्य पदार्थ जिनसे परहेज़ में समझदारी है:
लैक्टोज़ (दूध, आइसक्रीम, पनीर, दही में पाया जाता है)
आड़ू, तरबूज, नाशपाती, आम, सेब, आलूबुखारा जैसे कुछ फल
रिफ़ाइंड (साबुत नहीं) अनाज से बने ब्रेड और रोटी आदि आहार
चिप्स और कुकीज़ जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ
कॉफ़ी, कार्बोनेटेड पेय और शराब
फलियाँ
स्वीटनर्स (मिठास वाली गोलियाँ)
काजू और पिस्ता
कुछ खास सब्ज़ियां – जैसे आर्टिचोक (चुकंदर), एस्परैगस (सतमूल), ब्रोकोली, प्याज, ब्रसेल्स स्प्राउट्स (बंदगोभी का एक प्रकार), फूलगोभी, मशरूम, आदि
मेरा लिए सबसे अच्छा आईबीएस आहार क्या है?
आईबीएस के लिए कोई खास निर्धारित आहार नहीं सुझाया जा सकता है। हाँ, कुछ खास खाद्य पदार्थ हैं जो आईबीएस पीड़ितों में से कुछ को लाभ पहुँचा सकते हैं, लेकिन यह भी नहीं भूलना चाहिए कि विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ हरेक व्यक्ति पर अलग तरह से प्रतिक्रिया करते हैं। इसलिए आपको नया आहार शुरू करने से पहले उसके सेवन से प्रकट होनेवाले ऐसे लक्षणों को अपने डॉक्टर के साथ साझा करना चाहिए। यह अवलोकन करें कि आपका शरीर कुछ विशेष खाद्य पदार्थों के प्रति कैसी प्रतिक्रिया करता है, और इस प्रकार आपको अपने भोजन में इस्तेमाल होनेवाले पदार्थों में बदलाव करने की आवश्यकता पड़ सकती है। हाँ, सभी आईबीएस पीड़ितों को भरपूर पानी पीने, नियमित रूप से व्यायाम करने और कैफ़ीन का सेवन घटाने से बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
हालांकि जीवनशैली में बदलाव से आम तौर पर आईबीएस के लक्षण को काफी हद तक नियंत्रित रखने में मदद मिल जाती है, पर स्थिति गंभीर होने पर कभी-कभी दवाओं के साथ इलाज की आवश्यकता होती है। गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट (पेट और आंत संबंधी बीमारियों के विशेषज्ञ) की हमारी अनुभवी टीम आईबीएस की परेशानी के बेहतर प्रबंधन में आपकी बड़ी सहायता कर सकती है।